आदरणीय सुरजीत जी नमस्कार! आपको भी नववर्ष की कोटि -कोटि बाधाई ! पुन: बहुत बहुत सम्मान के साथ ये पंक्तिया कुबूल कीजिएगा । मुस्कानों के बीज -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ पलकों के तट चूमकर , कहे नयन-जलधार । बीते हैं पल दर्द के , हुआ नया भिनसार । । जीवन कहते हैं जिसे , है सुख-दुख का मेल । खुशियाँ दो पल जो मिलें,लेकर दुख भी झेल । । अब खूँटी पर टाँग दे ,नफ़रत -भरी कमीज़ । बोना है नव वर्ष में , मुस्कानों के बीज । । भाई ने परदेस से , किया बहिन को फोन । तेरी खुशियों से बड़ा ,मेरा जग में कौन । । घर में या परदेस में ,सबसे मुझको प्यार । सबके आँगन में खिले , फूलों का संसार । नए साल से हम कहें-करलो दुआ कुबूल । माफ़ करें हर एक की , जो-जो खटकी भूल । । मुड़-मुड़कर क्या देखना , पीछे उड़ती धूल । फूलों की खेती करो , हट जाएँगे शूल । । अधरों पर मुस्कान ले , कहता है नव वर्ष । छोड़ उदासी को यहाँ ,आ पहुँचा है हर्ष । । -0- -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
5 comments:
ਦੁਆ ਹੈ ਪਾਣੀਆਂ ਚ ਘੁਲੀ ਜਹਿਰ ਅਮ੍ਰਿਤ ਬਣ ਜਾਏ .....
ਨਵੇਂ ਸਾਲ ਦੀ ਤੁਹਾਨੂੰ ਵ੍ਧਾਈ ...!!
आदरणीय सुरजीत जी
नमस्कार!
आपको भी नववर्ष की कोटि -कोटि बाधाई !
पुन: बहुत बहुत सम्मान के साथ ये पंक्तिया कुबूल कीजिएगा ।
मुस्कानों के बीज
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
पलकों के तट चूमकर , कहे नयन-जलधार ।
बीते हैं पल दर्द के , हुआ नया भिनसार । ।
जीवन कहते हैं जिसे , है सुख-दुख का मेल ।
खुशियाँ दो पल जो मिलें,लेकर दुख भी झेल । ।
अब खूँटी पर टाँग दे ,नफ़रत -भरी कमीज़ ।
बोना है नव वर्ष में , मुस्कानों के बीज । ।
भाई ने परदेस से , किया बहिन को फोन ।
तेरी खुशियों से बड़ा ,मेरा जग में कौन । ।
घर में या परदेस में ,सबसे मुझको प्यार ।
सबके आँगन में खिले , फूलों का संसार ।
नए साल से हम कहें-करलो दुआ कुबूल ।
माफ़ करें हर एक की , जो-जो खटकी भूल । ।
मुड़-मुड़कर क्या देखना , पीछे उड़ती धूल ।
फूलों की खेती करो , हट जाएँगे शूल । ।
अधरों पर मुस्कान ले , कहता है नव वर्ष ।
छोड़ उदासी को यहाँ ,आ पहुँचा है हर्ष । ।
-0-
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
नये साल की सुरीली नई सौगात.
Harkirat ji, Rameshwar ji and Rahul ji I am very thankful to you.
Bahut hee gahre bhav ....
Happy new year and happy Lohri.
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